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Saajhi Samajh 8th Edition

साझी समझ 8 के बारे में

The 8th Edition of Saajhi Samajh was held on 14 सितंबर 2022, प्रातः 11 बजे से.

सामाजिक कार्य के परिप्रेक्ष्य में क्षेत्रीय भाषाओं की प्रासंगिकता

Relevance of Regional Languages in the Context of Social Work

भाषा का मनुष्य और समाज से गहरा संबंध है। यह मनुष्य के सामाजिक प्राणी होने का सबसे बड़ा प्रमाण है। भाषा संप्रेषण का सशक्त माध्यम होने के साथ ही संस्कृति की संवाहक भी होती है। इस दृष्टि से यह एक ऐसा महत्त्वपूर्ण उपकरण है जो मनुष्य को अन्य  प्राणियों से अधिक व्यवस्थित और श्रेष्ठ सिद्ध करता है।

भाषा को जानना वास्तव में समाज को जानना है| जब हम किसी भाषा की साहित्यिक कृतियों को पढ़ते हैं तो वास्तव में हम उस भाषा को बोलने–सुनने– लिखने–पढ़ने वाले समाज के सामाजिक क्रियाकलापों को पढ़ रहे होते हैं| भाषा का अपना एक समाज होता है। उस समाज का स्वभाव कहीं–न–कहीं भाषा के स्वभाव के रूप में भी दिखाई देता है।

सामाजिक क्षेत्रों में कार्य के दौरान भाषा को लेकर प्रायः दो प्रकार की स्थितियाँ देखने को मिलती हैं।  एक भाषा तो वह है जिसमें नीतियाँ–योजनाएँ बनाई जाती हैं और दूसरी भाषा, जो लाभार्थी समूह द्वारा बोली– समझी जाती है। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि इन दोनों भाषाओँ के वक्ताओँ के बीच सघन वार्तालाप और सोच– विचार के आदान–प्रदान का विशेष अवसर नहीं मिलता है। नीति–निर्माताओं और लाभार्थियों की भाषाओँ में अंतर होने के कारण अक्सर नीतियों का कार्यान्वयन अधूरा रहता है और हम वास्तविक लाभार्थी तक सुविधाएँ नहीं पहुँचा पाते हैं| यहाँ क्षेत्रीय भाषाओँ का उल्लेख करना और भी आवश्यक हो जाता है, क्योंकि आम नागरिक उस माध्यम को सहज स्वीकार करता है।

चूँकि 14 सितम्बर को हिंदी दिवस है, तो हिंदी की प्रासंगिकता पर चर्चा, विशेष रूप से सामाजिक क्षेत्र में , बढ़ जाती है। भारत देश में सर्वाधिक बोली–समझी जानेवाली भाषा हिंदी है, इसका आशय यह है कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में हिंदी भाषा का दायरा बहुत बड़ा है। अतः हिंदी भाषी क्षेत्रों में इस भाषा के द्वारा हम अधिक से अधिक लाभार्थियों तक पहुँचते हुए सामाजिक क्षेत्र में प्रभावी हस्तक्षेप कर सकते हैं। 

जिस क्षेत्र में जिस भाषा को सर्वाधिक लोग प्रयोग करते हैं उस भाषा में शिक्षा , रोजगार, व्यवसाय संबंधी क्षेत्रों में निश्चित रूप से अधिक संभावनाएँ होंगी| इसके साथ –साथ संपर्क भाषा के रूप में भी हिंदी की महती भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इन बिंदुओं   पर आधारित विमर्श– विश्लेषण के द्वारा हम अपनी समझ को एक–दूसरे से साझा करते हुए भाषा और समाज के विकास में उल्लेखनीय योगदान दे सकते हैं।

 

पृष्ठभूमि और संदर्भ:

टेक महिंद्रा फाउंडेशन प्रायः प्रत्येक गंभीर मुद्दों पर संवाद का पक्षधर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, फाउंडेशन ने विभिन्न विषय–विशेषज्ञों की एक श्रृंखला को एक मंच पर लाने एवं शिक्षा, रोजगार, सोशल इमोशनल लर्निंग आदि विषयकेंद्रित चर्चा के लिए कई सेमिनारों की मेजबानी की है। ‘साझी समझ’ शीर्षक वाले ये कार्यक्रम, भारत में शिक्षक–प्रशिक्षण और शिक्षा के विकास से संबंधित जरूरी मुद्दों पर चर्चा के माध्यम से संवादपरक वातावरण बनाने की दिशा में महती प्रयास हैं। फाउंडेशन अपने सभी कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्यम से सकारात्मक संवाद की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहता है। फाउंडेशन की ओर से साझी समझ 8 का यह आयोजन भी इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है।

साझी समझ का 8वाँ संस्करण – 14 सितंबर 2022 कोहिंदीदिवसकेअवसरपर, टेकमहिंद्राफाउंडेशन “सामाजिककार्यकेपरिप्रेक्ष्यमेंक्षेत्रीयभाषाओंकीप्रासंगिकता” विषयपरसाझीसमझकाआयोजनकरेगा।यहएकऑनलाइनचर्चाहोगी।

Our Panelists

नीलेश मिश्रा

नीलेश मिश्रा

 

 

ashok kumar

अशोक कुमार

 

 

amrita sharma

अमृता शर्मा

 

 

sharda gautam

शारदा गौतम

 

 

साझी समझ 8 की झलक

Event Report

saajhi samajh 8.0 2022

Saajhi samajh 8.0